
आज, वाराणसी के धर्मसंग भवन, दुर्गाकुंड में आयोजित *यज्ञोपवीत महा महोत्सव* ने एक ऐतिहासिक मोड़ लिया। इस आयोजन ने न सिर्फ ब्राह्मण समुदाय को एकजुट किया, बल्कि पूरे समाज को एक संजीवनी शक्ति दी, जिससे हर जाति, हर समुदाय को यह अहसास हुआ कि हम सभी का भविष्य, हमारी एकता और राष्ट्र की रक्षा से जुड़ा है। उत्तर प्रदेश सरकार में **कोआपरेटिव यूनियन निदेशक एवं दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री श्री रामप्रकाश दुबे जी** के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में 5000 से अधिक युवाओं ने यज्ञोपवीत संस्कार के साथ अपने कर्तव्यों का प्रण लिया।
**“जब तक भगवान परशुराम के वंशजों के रगों में शौर्य का रक्त नहीं दौड़ेगा, तब तक कोई भी ताक़त भारत की अखंडता को कमजोर करने की कोशिश करती रहेगी। हमें अब अपनी भूमिका समझनी होगी और एकजुट होकर राष्ट्र रक्षा का संकल्प लेना होगा।”** – श्री रामप्रकाश दुबे जी
**अधिकारों की शक्ति का उत्सव:**
इस महा-महोत्सव में, श्री रामप्रकाश दुबे जी ने ब्राह्मण समाज के युवाओं से न सिर्फ धर्म की रक्षा का आह्वान किया, बल्कि भारत की महानता और समृद्धि के लिए एकजुट होने का संदेश भी दिया। उनका कहना था, *“हम सभी का राष्ट्र केवल धर्म से नहीं, बल्कि एकता से भी सशक्त होगा। ब्राह्मण समाज की जिम्मेदारी बनती है कि वह सिर्फ अपनी संस्कृति की रक्षा न करें, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग को प्रोत्साहित करें। भारत तभी ‘विस्वगुरु’ बनेगा, जब हर समुदाय अपनी भूमिका समझेगा।”*
**पहलगाम आतंकवादी हमले पर कड़ा प्रहार:**
श्री रामप्रकाश दुबे जी ने इस अवसर पर पाकिस्तान द्वारा किए गए *पहाalgam आतंकवादी हमले* का उल्लेख करते हुए कहा, *“हम जब तक एकजुट होकर धर्म और राष्ट्र की रक्षा नहीं करेंगे, तब तक हमारे देश के दुश्मन हमें कमजोर करने की कोशिश करते रहेंगे। हमें एक दूसरे की ताकत बनकर खड़ा होना होगा।”*
यह बयान न सिर्फ ब्राह्मण समाज के लिए एक प्रेरणा बना, बल्कि पूरे हिंदू समाज को यह संदेश दिया कि हमारी एकता ही हमें आतंकवाद और विघटनकारी ताकतों से बचा सकती है।
**कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ:**
– 5000+ युवा पुरुष और महिलाएं यज्ञोपवीत संस्कार में सम्मिलित हुए।
– धर्म और राष्ट्र रक्षा के संकल्प के साथ शपथ ली गई।
– भगवान परशुराम के वंशजों ने एकजुट होकर संकल्प लिया कि वे आतंकवाद और समाज में फैली बुराईयों से लड़ेंगे।
– शांति, समृद्धि और राष्ट्र सुरक्षा के लिए मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ अनुष्ठान किया गया।
– कन्याओं के लिए विशेष संस्कार शिविर का आयोजन।
– सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियाँ जैसे – “नव ब्राह्मण सेना” की घोषणा।
**ब्रह्मा की रक्षा, राष्ट्र की रक्षा:**
समारोह में यह संदेश दिया गया कि ब्राह्मण समाज का धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं, बल्कि यह राष्ट्र की रक्षा, शिक्षा, संस्कार और समाज कल्याण की दिशा में कार्य करने की प्रेरणा देता है। इस आयोजन में सभी जातियों और धर्मों को इस बात का अहसास हुआ कि एक मजबूत राष्ट्र तब ही बन सकता है जब हर वर्ग की बराबरी हो।
**समाज में एकता की मिसाल:**
आज का आयोजन सिर्फ ब्राह्मणों तक सीमित नहीं रहा। मुस्लिम, दलित, ओबीसी, और अन्य जातियों के लोग भी इस आंदोलन में एकजुट हुए और यह संकल्प लिया कि हम सब मिलकर आतंकवाद और समाज के बुराईयों से लड़ेंगे। श्री रामप्रकाश दुबे जी ने कहा, *“हम सबका देश एक है, और जब तक हम सभी के दिलों में समानता का भाव रहेगा, तब तक कोई भी ताकत हमारे राष्ट्र को नुकसान नहीं पहुँचा सकती।”*
**प्रशासन और समाज का समर्थन:**
कार्यक्रम में प्रशासनिक अधिकारियों और समाज के प्रमुख व्यक्तित्वों ने भी भाग लिया और श्री दुबे जी के नेतृत्व की सराहना की। *“श्री रामप्रकाश दुबे जी केवल एक सामाजिक नेता नहीं, बल्कि एक ऐसे नेता हैं जो समाज की हर जरूरत को समझते हैं। उनका नेतृत्व हमें हमेशा प्रेरित करता है,”* एक स्थानीय नेता ने कहा।
**समाप्ति व भविष्य की राह:**
यज्ञोपवीत महा महोत्सव ने ना केवल ब्राह्मण समाज को जागरूक किया, बल्कि हर जाति और धर्म को यह संदेश दिया कि हम सबकी जिम्मेदारी है अपने राष्ट्र की रक्षा करना। श्री रामप्रकाश दुबे जी ने इस आयोजन के बाद एक विस्तृत योजना की घोषणा की है जिसमें हर युवा और प्रत्येक वर्ग के लोग मिलकर समाज की भलाई और आतंकवाद से लडने के लिए काम करेंगे।
**”यज्ञोपवीत पहनने से नहीं, हमारी सोच में बदलाव से होगा भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाना।”** – श्री रामप्रकाश दुबे जी