

अक्षय तृतीया के पावन पर्व पे श्री काशी विश्वनाथ जी की मंगला आरती में चक्र पुष्करणी मणिकर्णिका कुंड के जल से किया गया अभिषेक , वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है. इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में स्थित होते हैं, अतः दोनों की सम्मिलित कृपा का फल अक्षय हो जाता है. अक्षय का अर्थ होता है जिसका क्षय न हो. माना जाता है कि इस तिथि को किए गए कार्यों के परिणाम का क्षय नहीं होता , इसी क्रम में श्री काशी विश्वनाथ के चरणों में 11 गघरा चक्र पुष्करणी कुंड का जल अर्पित किया गया।


भगवान विश्वनाथ सभी सनातन आस्था वाले मनुष्यों एवं चराचर विश्व का कल्याण करें, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास यह कामना करता है।
।।श्री काशीविश्वनाथो विजयतेतराम।।









